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एंटरल फ़ीडिंग के लिए खिलाने वाली नली की जगह

पेट या आंत में खिलाने वाली नली लगाना, कैंसर वाले बच्चों में एक सामान्य तरीका है। ट्यूब का प्रकार इस बात पर निर्भर करता है कि ट्यूब को कैसे लगाया जाता है (नाक या पेट से) और ट्यूब पाचन तंत्र (पेट या आंत) में कहां लगती है। खिलाने वाली नली से उन बच्चों को एंटरल पोषण दी जाती है जो भोजन से मिलने वाली सभी पोषक तत्व नहीं ले पा रहे हैं।

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खिलाने वाली नली कैसे लगाए जाते हैं?

एंटरल फ़ीडिंग के लिए, खिलाने वाली नली लगाने के दो मुख्य तरीके हैं:

  1. नाक के माध्यम से (ऑपरेशन के बगैर) - नाक की नलियों में एनजी ट्यूब (नासोगैस्ट्रिक),  एनडी ट्यूब (नासोडुडेनल), या एनजे ट्यूब (नासोजेजुनल) शामिल हैं।
  2. पेट में छोटा सा चीरा लगाकर (ओस्टोमी सर्जरी) - ऑपरेशन के द्वारा लगाई जाने वाली खिलाने वाली नली में जी ट्यूब (गैस्ट्रोस्टोमी), जीजे ट्यूब (गैस्ट्रो-जेजुनोस्टॉमी), और जे ट्यूब (जेजुनोस्टॉमी) शामिल हैं।
एक युवा मरीज़ जिसके नाक के दाएं छेद में एनजी ट्यूब  लगा कर चेहरे पे टेप से चिपकाया गया है।

नाक के माध्यम से और गले से  होते हुए पेट  या छोटी आंत में एक एनजी ट्यूब डाली जाती है।

किस रोगी के लिए किस प्रकार की खिलाने वाली नली सबसे अच्छी है, यह कई कारकों से तय किया जाता है। इनमें शामिल है:

  • पाचन प्रणाली का स्वास्थ्य
  • पोषण सहायता कब तक चलेगी
  • कितनी बार इस्तेमाल होगा
  • बच्चे की उम्र, आकार और स्वास्थ्य स्थिति
  • बच्चे की गतिविधि का स्तर
  • खिलाने वाली नली को ठीक रखने के लिए कितनी देखभाल की ज़रूरत है
  • संक्रमण और अन्य समस्याओं का खतरा

एक खिलाने वाली नली महीनों से सालों तक अपनी जगह पर रह सकती है, जब तक कि पोषण की सहायता की आवश्यकता रहती है। कई बच्चे खिलाने वाली नली लगे रहते हुए भी मुंह से खाना खा सकते हैं। अगर संक्रमण या अन्य समस्या होती है, तो ट्यूब को हटाया जा सकता है या बदला जा सकता है।

हर तरह की प्रक्रिया अलग होती है। देखभाल टीम के एक सदस्य विस्तार में समझायेंगे और खिलाने वाली नली के जोखिम और फ़ायदे पर बातचीत करेंगे। एक शिशु जीवन विशेषज्ञ भी बच्चों को तैयार करने और यह जानने में मदद कर सकता है कि क्या-क्या हो सकता है। खिलाने वाली नली लगे हुए भी काफी बच्चे घर जा सकते हैं। एक नर्स या रोगी शिक्षक खिलाने वाली नली की देखभाल और निर्देश समझाएंगे। सवालों की एक सूची जरूर तैयार रखे और सारी जानकारी को लिखे ताकि आसानी से याद रहे।

एनजी ट्यूब (नासोगैस्ट्रिक), एनजे ट्यूब (नासोजेजुनल) या एनडी ट्यूब (नासोडुडेनल)

एनजी, एनजे और ऐनडी ट्यूब लंबे, लचीले, खोखले ट्यूब होते हैं। लंबाई बच्चे के आकार पर निर्भर करती है। शरीर के बाहर रहने वाले सिरे पर पोषण देनीवाली सुई लगाने के लिए जगह रहती है।

जी ट्यूब (गैस्ट्रोस्टोमी), जे ट्यूब (जेजुनोस्टॉमी) और जीजे ट्यूब (गैस्ट्रो-जेजुनोस्टॉमी)

पेट के माध्यम से डाली गई खिलाने वाली नली दो मुख्य श्रेणियों में आती हैं: लंबी ट्यूब और लो-प्रोफ़ाइल या बटन ट्यूब। मरीजों को अक्सर पहले एक लंबी ट्यूब मिलती है और फिर इसे 6-8 सप्ताह के बाद लो-प्रोफ़ाइल ट्यूब से बदल दिया जा सकता है जब नली डालने वाली जगह ठीक हो जाती है।

लंबी ट्यूब

पेट की दीवार के माध्यम से लंबी ट्यूब डाली जाती हैं। ट्यूब का जो सिरा पेट या आंत के अंदर रहता है, उसमें कुकुरमुत्ता के आकार का सिरा या आंतरिक गुब्बारा होता है, ताकि ट्यूब उस जगह पर स्थिर रहे। एक बाहरी बंपर या डिस्क ट्यूब को त्वचा के बाहरी सतह पर बनाए रखने में मदद करती है।

ट्यूब की थोड़ी लंबाई शरीर के बाहर रहती है। ट्यूब के लंबे वाले सिरे में एक या अधिक खुली जगह होती है जिन्हें पोर्ट कहा जाता है। पोर्ट का इस्तेमाल खाना देने, दवाइयां देने या पेट से हवा या तरल पदार्थ निकालने के लिए किया जाता है।

लो प्रोफ़ाइल या बटन ट्यूब्स

लो-प्रोफ़ाइल या बटन ट्यूब छोटी खिलाने वाली नली होती हैं जो त्वचा के करीब रहती हैं। एक छोटा गुब्बारा पेट या आंत के अंदर ट्यूब के सिरे पर होता है जो ट्यूब को अपनी जगह पर बनाए रखता है। त्वचा के बाहर पोर्ट एक हटाने योग्य एक्सटेंशन सेट से जुड़ा होता है जिससे पोषण दिया जाता है


समीक्षा की गई: दिसंबर 2018